
जयपुर,२९ दिसम्बर, २००७ राजस्थान में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा लागू की गई ’’जनश्री बीमा योजना’’ वरदान साबित हुई है। इस योजना के तहत राज्य में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के असंगठित लगभग ६० हजार श्रमिकों का बीमा किया जा चुका है।
बीमित श्रमिक की मृत्यु की दशा में श्रमिक द्वारा पूर्व नामित व्यक्ति को ३० हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। बीमित श्रमिक की दुर्घटना के कारण मृत्यु होने पर नामित व्यक्ति को ७५ हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। दुर्घटना के कारण स्थाई अपंगता होने पर बीमित को ७५ हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। दोनों आँखें अथवा दो अंगों के खराब होने की दशा में बीमित को ७५ हजार रुपये के भुगतान का प्रावधान है। एक आँख अथवा एक अंग खराब होने की दशा में बीमित को साढे ३७ हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। बीमित व्यक्ति के परिवार के कक्षा ९ से १२ के बीच अध्ययन कर रहे अधिकतम दो बच्चों की ’’शिक्षा सहयोग योजना‘‘ के तहत प्रति बच्चे को चार वर्ष तक प्रति तिमाही ३०० रुपये की छात्रवृति का लाभ भी दिया जाता है।
’’जनश्री बीमा योजना‘‘ के तहत बीमा कराने वाले श्रमिक सदस्य को प्रतिवर्ष २०० रुपये का प्रीमियम जमा कराना होता है जिसमें से १०० रुपये सामाजिक सुरक्षा कोष (केन्द्र सरकार) द्वारा वहन किये जाते हैं। अतः सदस्य द्वारा ७५ रुपये तथा २५ रुपये राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाते हैं। प्रीमियम राशि सदस्य अथवा संस्था (नोडल एजेन्सी) में से किसी के द्वारा भी वहन किया जा सकता है। यह योजना न्यूनतम २५ सदस्यों वाले समूह को उनकी संस्था अथवा संगठन (नोडल एजेन्सी) के माध्यम से ही दी जाती है। योजना अवधि एक वर्ष की होती है जिसे प्रत्येक वार्षिक नवीनीकरण तिथि पर पुनः एक वर्ष की अवधि के लिए बढाया जाता है। योजना में बिना व्यक्तिगत स्वास्थ्य जांच के, खेल अच्छे स्वास्थ्य की घोषणा के आधार पर उन व्यक्त्यिों को सम्मिलित किया जा सकता है, जिनकी उम्र न्यूनतम १८ वर्ष एवं अधिकतम ६० वर्ष के बीच हो।
’’जनश्री बीमा योजना‘‘ भारतीय जीवन बीमा निगम की एक सामूहिक सुरक्षा योजना है। इसका उद्देश्य उन ग्रामीण एवं शहरी निर्धन लोगों को सस्ती एवं रियायती दरों पर बीमा सुरक्षा प्रदान करना है जो गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। योजना का लाभ संबंधित वर्गों को पहुँचाने के लिए सरकार एवं निगम ने कुछ समूह, वर्ग चिन्हित किये हैं जो अपने संगठन अथवा संस्था के माध्यम से योजना लागू करवा सकते हैं। चिन्हित किये गये समूह, वर्ग में बीडी श्रमिक, ईंट-भट्टा श्रमिक, काष्ठकार, मोची, मछुआरे, हमाल, शिल्पकार, हाथकर्घा, बुनकर, महिला दर्जी, चर्मकार, पापड उद्योग से जुडा महिला संगठन, स्वरोजगार युक्त अपंग व्यक्ति, प्राथमिक दुग्ध उत्पादक, रिक्शा चालक, सफाई कर्मचारी, सम्मिलित हैं।
इस योजना का नमक श्रमिक, तेंदूपत्ता संग्रहकर्ता, शहरी निर्धन, वन श्रमिक, रेशम खेती श्रमिक, ताडी संग्रहण श्रमिक, बिजली चलित हाथकर्घा श्रमिक, दूरदराज ग्रामीण पहाडी क्षेत्र महिलाएं, फूडस्टफ खाण्डसारी टेक्सटाईल, लकडी उत्पादन, कागज, चमडा, छपाई, रबर व कोयला, मोमबत्ती, खिलौना उद्योग से जुडे श्रमिक भी लाभ उठा सकते हैं। योजना का लाभ कृषक, ट्रांसपोर्ट ड्राईवर्स, ट्रांसपोर्ट कर्मचारी, भवन निर्माण, पटाखा उद्योग, नारियल प्रोसेसिंग से जुडे श्रमिक, आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं कोतवाल भी उठा सकते हैं।
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