Monday, January 28, 2008
यूलिप में निवेश करें, मगर बारीकियां समझ कर
28 Jan 2008, 1714 hrs IST , नवभारत टाइम्स
शेयर मार्केट और दूसरे पूंजी बाजारों में तेजी को देखते हुई निवेशकों में यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी यूलिप को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। जब आप यूलिप पॉलिसी लेते हैं, तो इसमें निवेश किए गए आपके पैसे का एक हिस्सा पूंजी बाजार में निवेश किया जाता है और दूसरे हिस्से से लाइफ कवरेज होता है। एक्सपर्ट की राय में यूलिप से बेहतर रिटर्न हासिल होते हैं, लेकिन इनका स्ट्रक्चर थोड़ा कॉम्प्लेक्स होता है। ऐसे में निवेश करने से पहले इसके हर पहलू के बारे में जान लेना बेहद जरूरी है।
यूलिप क्या है?
यूलिप यानी यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान। इसमें किए गए निवेश का एक हिस्सा आपकी चुनी हुई योजना में लगाया जाता है और दूसरा हिस्सा आपका इंश्योरेंस कवर करता है। अमूमन आप इंश्योरेंस का जो भी प्रीमियम अदा करते हैं, उसका पांच-छह गुना तक की रकम का जीवन बीमा कवर किया जाता है। ज्यादातर यूलिप योजनाएं तीन साल की लॉक-इन अवधि की होती हैं।
इंश्योरेंस कवर के अलावा जो निवेश किया जाने वाला हिस्सा होता है, उसमें कई इनवेस्टमेंट ऑप्शन होते हैं। किसी में पूरा पैसा इक्विटी यानी शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। सुरक्षित निवेश योजना के तहत इक्विटी और ऋण बाजार में निवेश का अनुपात 70 और 30 होता है, जबकि बैलेंस्ड प्लान में इनमें 50-50 का निवेश अनुपात होता है। हालांकि पॉलिसी लेने वालों को एक प्लान से दूसरे प्लान में जाने का विकल्प रहता है, लेकिन ये सीमित होते हैं।
यूलिप से जुड़े ऊपरी व्यय
अमूमन पहले साल आप जितना प्रीमियम देते हैं, उसका एक हिस्सा काटकर ही निवेश किया जाता है। मान लीजिए पहले साल आपने 50,000 रुपये का प्रीमियम भरा, तो आपकी जो राशि निवेश के लिए जमा होगी, उसका हिसाब कुछ इस तरह बनेगा।
प्रीमियम राशि- 50,000 रुपये
एंट्री लोड -5 फीसदी- 2,500 रुपये
फंड मैनेजमेंट शुल्क- 7.5 फीसदी - 3750 रुपये
एडमिनिस्ट्रेशन चार्जेज-240 रुपये
मॉर्टलिटी चार्ज- 140 रुपये
कुल लागत- 6,630 रुपये
वास्तविक निवेश राशि -50,000 -6,630 रुपये
43,370 रुपये
( इस उदाहरण में 50,000 रुपये प्रीमियम है और बीमा 2.5 लाख रुपये का है)
यूलिप की बारीकियां
चूंकि यूलिप का एक हिस्सा शेयर मार्केट या दूसरे पूंजी बाजारों में निवेश किया जाता है, इसलिए जैसे ही आपके पैसे से खरीदे गए शेयरों और यूनिटों के दाम गिरने लगते हैं, आपका रिजर्व कम होने लगता है। अब अगर इसमें इतना पैसा नहीं बचा है कि आपकी प्रीमियम राशि कवर हो सकती है, तो प्रीमियम का भुगतान नहीं होता। आपसे प्रीमियम भरने को कहा जाता है। अगर आप ऐसा नहीं कर पाते, तो आपका बीमा कवर खत्म हो सकता है। दूसरे इसमें परंपरागत इंश्योरेंस पॉलिसी से मिलने वाले छह से आठ फीसदी तक के रिटर्न की भी गारंटी नहीं होती।
एजेंट जो नहीं बताते
ज्यादातर एजेंट साल दर साल लगने वाले चार्जेज के बारे में नहीं बताते। यूलिप से आप तीन साल बाद पैसे निकाल सकते हैं। प्रीमियम का भुगतान भी आपके फंड में जमा रकम से होता रहेगा। लेकिन अगर आपके फंड में इतना पैसा नहीं है कि मॉर्टलिटी चार्ज जमा किया जा सके, तो आपका इंश्योरेंस खत्म हो सकता है। अमूमन एजेंट ग्राहकों को इसकी जानकारी नहीं देते।
मुआवजा
अगर बीमा पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो यूलिप पॉलिसी धारक को इंश्योर्ड रकम यानी सम इंश्योर्ड या यूनिटों के बढ़ने या घटने के बाद फंड में जमा कुल रकम में से जो भी ज्यादा होगा मिलेगा। यूलिप की बहुत कम ऐसी पॉलिसियां हैं, जिनमें सम इंश्योर्ड और फंड रकम दोनों का भुगतान किया जाता है। एक्सर्पट्स का कहना है कि ऐसे हालात में पारंपरिक लाइफ इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियां या फिर सीधे म्यूचुअल फंड में निवेश ज्यादा अच्छे विकल्प हैं।
बाजार में यूलिप प्रॉडक्ट
मार्केट में लगभग पचास तरह के यूलिप प्रॉडक्ट हैं। आप इनमें से अपनी सुविधानुसार चुनाव कर सकते हैं। हालांकि अलग-अलग यूलिप प्रॉडक्ट आपकी अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने का दावा करते हैं लेकिन ये कमोबेश एक ही तरह के होते हैं। चाहे वे चिल्ड्रन प्लान हों या फिर बोनस वाले प्लान सभी एक जैसे होते हैं। हां, निवेशक को जो पैसा मिलता है उसके भुगतान का ढांचा अलग-अलग होता है। ऐसे प्लान में आप लॉक-इन पीरियड के बाद पैसे निकाल सकते हैं।
यूलिप पॉलिसी खरीदने से जुड़ी सावधानियां
पॉलिसी एनएवी पर न जाएं। पॉलिसी से जुड़े फंड का ट्रैक रिकॉर्ड देखें। आपका एजेंट चाहे जितना जोर डाले, पॉलिसी के बारे में पूरी जानकारी लिए या फिर ऑफर डॉक्यूमेंट की बारीकियां समझे बिना निवेश न करें। अगर आपको ऑफर नहीं जंचता, तो बेहतर है कि आप यूलिप के बदले एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करें।
यूलिप एक नजर में
निवेश राशि - निवेश की कोई सीमा नहीं
पॉलिसी से जुड़े खर्च - कोई ऊपरी सीमा नहीं। यह खर्च इंश्योरेंस कंपनी तय करती है।
टैक्स में छूट: आयकर की धारा 80 सी का कर छूट लाभ सभी यूलिप पॉलिसी को मिलता है।
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