नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। क्या आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से परेशान हैं। अब चिंता मत कीजिए। अगले कुछ महीनों के भीतर आप बगैर किसी झंझट के एक स्वास्थ्य बीमा कंपनी को छोड़कर दूसरी का दामन थाम सकेंगे। इसके लिए आपको नए सिरे से प्रीमियम भी नहीं देना पड़ेगा। अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों की तर्ज पर भारत में भी हेल्थ बीमा पोर्टेबिलिटी शुरू करने की तैयारी है। बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण [इरडा] इस बारे में नियमों को अंतिम रूप दे रहा है। इसकी घोषणा जल्दी ही ही किए जाने की संभावना है।
इरडा के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी यानी सुविधा के मुताबिक बीमा कवरेज देने वाली कंपनी को बदलने की आजादी से पूरे स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्पद्र्धा को बढ़ावा मिलेगा। इस बारे में बीमा कंपनियों के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। शुरुआती तौर पर एक सीमित दायरे में इसका आगाज किया जाएगा। मसलन, शुरू में ग्राहकों के पास चाहे स्वास्थ्य बीमा कितनी भी राशि का हो सिर्फ एक लाख रुपये तक का कवरेज ही किसी दूसरी बीमा कंपनी से लेने का अधिकार मिलेगा। लेकिन ग्राहकों को नई बीमा कंपनी से वही सुविधाएं मिलेंगी, जो पहले वाली बीमा कंपनी की पॉलिसी में मिल रही हैं। ज्यादा सुविधाएं पाने के लिए ग्राहकों को अतिरिक्त प्रीमियम चुकाना होगा।
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का सबसे बड़ा फायदा ग्राहकों को यह मिलेगा कि जिस वर्ष से वे स्वास्थ्य बीमा लेंगे उसे हर कंपनी आधार वर्ष के तौर पर लेगी। अभी आपको बीमा कंपनी बदलने के लिए अपनी मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को रद कराना पड़ता है। नई नीति के तहत पुरानी बीमा पॉलिसी के उतनी अवधि का लाभ भी नई में जुड़ जाएगा, जितने समय आपने पुरानी पॉलिसी चलाई है। इस तरह से आपको पुरानी बीमारियों का कवरेज भी मिल सकेगा। उक्त सूत्रों के मुताबिक पॉलिसीधारक को उसकी पॉलिसी के तहत मोटे तौर पर मिलने वाले फायदे जारी रहेंगे। अगर शुरुआत में कंपनियों के बीच इसको लेकर बेहतर तालमेल हो जाता है तो फिर आगे चलकर पॉलिसी की राशि की सीमा समाप्त हो सकती है। साथ ही पॉलिसी की सभी सुविधाओं का हस्तांतरण किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि स्वास्थ्य बीमा को लेकर ग्राहकों की कई शिकायतें पोर्टेबिलिटी की इस सुविधा से दूर हो जाएंगी। ग्राहकों के भागने के डर से बीमा कंपनियां बेहतर सेवा देंगी। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [सीएजी] की तरफ से हाल ही में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक 77 फीसदी हेल्थ इंश्योरेंस ग्राहक अपनी कंपनी की सेवा से खुश नहीं हैं।
इरडा के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी यानी सुविधा के मुताबिक बीमा कवरेज देने वाली कंपनी को बदलने की आजादी से पूरे स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्पद्र्धा को बढ़ावा मिलेगा। इस बारे में बीमा कंपनियों के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। शुरुआती तौर पर एक सीमित दायरे में इसका आगाज किया जाएगा। मसलन, शुरू में ग्राहकों के पास चाहे स्वास्थ्य बीमा कितनी भी राशि का हो सिर्फ एक लाख रुपये तक का कवरेज ही किसी दूसरी बीमा कंपनी से लेने का अधिकार मिलेगा। लेकिन ग्राहकों को नई बीमा कंपनी से वही सुविधाएं मिलेंगी, जो पहले वाली बीमा कंपनी की पॉलिसी में मिल रही हैं। ज्यादा सुविधाएं पाने के लिए ग्राहकों को अतिरिक्त प्रीमियम चुकाना होगा।
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का सबसे बड़ा फायदा ग्राहकों को यह मिलेगा कि जिस वर्ष से वे स्वास्थ्य बीमा लेंगे उसे हर कंपनी आधार वर्ष के तौर पर लेगी। अभी आपको बीमा कंपनी बदलने के लिए अपनी मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को रद कराना पड़ता है। नई नीति के तहत पुरानी बीमा पॉलिसी के उतनी अवधि का लाभ भी नई में जुड़ जाएगा, जितने समय आपने पुरानी पॉलिसी चलाई है। इस तरह से आपको पुरानी बीमारियों का कवरेज भी मिल सकेगा। उक्त सूत्रों के मुताबिक पॉलिसीधारक को उसकी पॉलिसी के तहत मोटे तौर पर मिलने वाले फायदे जारी रहेंगे। अगर शुरुआत में कंपनियों के बीच इसको लेकर बेहतर तालमेल हो जाता है तो फिर आगे चलकर पॉलिसी की राशि की सीमा समाप्त हो सकती है। साथ ही पॉलिसी की सभी सुविधाओं का हस्तांतरण किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि स्वास्थ्य बीमा को लेकर ग्राहकों की कई शिकायतें पोर्टेबिलिटी की इस सुविधा से दूर हो जाएंगी। ग्राहकों के भागने के डर से बीमा कंपनियां बेहतर सेवा देंगी। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [सीएजी] की तरफ से हाल ही में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक 77 फीसदी हेल्थ इंश्योरेंस ग्राहक अपनी कंपनी की सेवा से खुश नहीं हैं।
No comments:
Post a Comment